दावा: सर्पदंश पीड़ित अगर यहां तक जिंदा आ गया तो ठीक होकर ही लौटेगा! अनोखा मंदिर

छतरपुर: मानसून में सांप निकलने और काटने दोनों का खतरा बढ़ा ही रहता है. हर साल बारिश के दिनों में सांप काटने की वजह से कई लोगों की जान चली जाती है. लेकिन, मध्य प्रदेश के छतरपुर में एक ऐसा स्थान हैं, जहां सांप के काटने से कोई नहीं मरता. चौंकिए नहीं, ये दावा एक धार्मिक स्थान के पुजारी का है. उनका कहना है कि बाबा की ऐसी कृपा है कि सर्पदंश पीड़ित की जान यहां आने के बाद बच जाती है.

छतरपुर के महाराजपुर गांव में राजाओं के जमाने से इसी धार्मिक स्थान पर सर्पदंश का इलाज होता आ रहा है. इलाके में भी ऐसी मान्यता प्रचलित है कि जब भी किसी को सांप काटता है तो वह अस्पताल जाने के बजाय सीधे बिदेही बाबा के स्थान पर आता है. यहां सांप काटने से पीड़ित का उपचार भी किया जाता है. इस स्थान पर एक विशाल कोबरा नाग भी रहता है, जिसकी पुजारी ही देखभाल करते हैं.

समाधि के ऊपर बना मंदिर
बिदेही बाबा मंदिर के पुजारी राजकुमार तिवारी ने लोकल 18 को बताया कि बिदेही का अर्थ है, जिसकी देह न हो. बताया कि यह स्थान राजाओं के जमाने का है. एक राजा ही यहां आए थे और एकांत पाकर इस जंगल में रहने लगे. कुछ समय पश्चात उन्होंने जिंदा समाधि ले ली. उनकी समाधि के ऊपर ही यह मंदिर बना है. दावा किया कि यहां जो भी सर्पदंश का मरीज आता है, ठीक होकर जाता है. आज भी बाबा का आशीर्वाद लोगों को मिलता है.

ऐसे हुई चमत्कार की शुरुआत
मान्यता है कि जब बिदेही बाबा यहां रहते थे, तब एक वृद्ध महिला के पुत्र को सांप ने काट लिया था. वह बाबा के पास आकर रोने लगी, तब बाबा ने कहा था ‘घबराओ मत तुम्हारे पुत्र को कुछ नहीं होगा.’ तब से लेकर आज तक किसी को भी सांप काटता है तो बिदेही बाबा का नाम लेकर बालों में गांठ बांध लेने से वह बच जाता है. सिर्फ सांप ही नहीं कोई भी जहरीला जीव हो सभी के मरीज यहां आने पर ठीक हो जाते हैं. भूत-प्रेत बाधा की भी समस्या दूर होती है.

सांप काटने का ऐसे होता है उपचार
पुजारी के मुताबिक, यदि किसी को सांप काट ले तो सबसे पहले बिदेही बाबा की जय बोलकर बालों में गांठ लगा ले. इसके बाद घी-काली मिर्च पी ले, लेकिन पानी नहीं पीना है. इसके तुरंत बाद बिदेही बाबा मंदिर आना हैं और बाबा की जय बोलकर परिक्रमा लगाना है. कितने भी जहरीले सांप ने काटा हो बाबा पीड़ित को बचा लेंगे.

यहां आने के बाद सबकी बची जान!
पुजारी राजकुमार का दावा है कि यदि सर्पदंश पीड़ित यहां जिंदा हालत में आ जाए तो जीवित ही लौटेगा. हर दिन सर्पदंश के 20-25 मरीज़ यहां आते हैं और ठीक होकर जाते हैं. कई बार तो रात में भी आते हैं. फिर हम भी घर से भागकर मंदिर आते हैं और परिक्रमा लगवाकर उपचार करवाते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मंदिर के पुजारी से बातचीत के आधार पर हैं. Local 18 किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.

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Source – News18