दुनिया का इकलौता जहाज, जिसकी आवाज से घबरा जाते थे लोग,कम्बल से ढंक लेते थे कान

दुनिया में ऐसे कई जेट हैं, जो काफी शोर मचाते हैं. जिनकी आवाज आपको कानफोड़ू लग सकती है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे जहाज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी आवाज इतनी तेज थी क‍ि लोग कांप उठते थे. जब ये स्‍टार्ट होता था तो ग्राउंड स्‍टाफ भी कम्‍बल से कान ढंकने को मजबूर हो जाता था. वास्तव में इसकी आवाज को क‍िसी भी डेसीबल पर कभी र‍िकॉर्ड नहीं किया, क्‍योंक‍ि डर था क‍ि कहीं मापने वाला उपकरण ही न टूट जाए.

1955 में अमेरिकी वायु सेना ने XF-84H नामक दो जहाज विकस‍ित क‍िए थे. रिपब्‍ल‍िक एव‍िएशन ने इसे बनाया. विमान में टर्बोप्रॉप इंजन लगाया गया. क्‍योंक‍ि ऐसा इंजन बड़े पंखों वाला होता है और बड़ी मात्रा में हवा हटाने में सक्षम होता है. यह कम गत‍ि पर व‍िमान को काफी ताकत देता है. यह जल्‍दी टेकऑफ कर सकता है और जल्‍दी लैंडिंग भी. इस टरबाइन इंजन में तीन स्टील ब्लेड थे, जो 12 फीट लंबे थे. ये एक तरह से सुपरसोनिक गत‍ि से चलते थे. इनके चलने से इतनी तेज आवाज पैदा होती थी क‍ि 40 क‍िलोमीटर दूर से भी इसे सुना जा सकता था. इनसे निकलने वाली हवा इतनी शक्‍त‍िशाली थी क‍ि सामान्‍य आदमी को तिनके की तरह उड़ा दे.

आवाज सुनकर हाथ-पैर लड़खड़ाने लगे
एयर एंड स्‍पेस मैगजीन में इसके बारे में विस्‍तार से बताया गया है. लिखा है, एक दिन चालक दल इसे चलाने के लिए कैलिफ़ोर्निया के एडवर्ड्स एयर फ़ोर्स बेस ले गया. इसे उड़ाने वाले दल में शामिल हेनरी बेयर्ड कहते हैं, हमने इसे एक टैक्सीवे के बगल में बांध दिया. जब इसे चलाया गया, तो इसकी आवाज सुनकर चालक दल का प्रमुख बेहोश हो गया. वह फर्श पर अपनी पीठ के बल लेट गया. उसके हाथ-पैर लड़खड़ा रहे थे. वह इतना डर गया था क‍ि कान सुन्‍न हो गए थे. कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था.

“थंडरस्क्रीच” नाम से भी पुकारा जाता है इसे
78 साल के हो चुके बेयर्ड कहते हैं क‍ि यह वास्‍तव में इतना बुरा नहीं था, लेक‍िन अगर आप विमान में चढ़ गए, और इसे स्‍टार्ट क‍िया गया तो यह आपको नीचे गिरा देगा. भयानक आवाज करने की वजह से इस विमान को “थंडरस्क्रीच” नाम से भी पुकारा जाता है. थंडरस्क्रीच का इंजन हर समय पूरी गति से चलता था, और प्रोपेलर स्टार्टअप से शटडाउन तक 2,100 आरपीएम पर घूमता था. लेकिन शोर भयानक था.

आवाज टॉवर की खिड़कियों को न तोड़ दे
चालक दल के एक अन्‍य सदस्‍य कहते हैं क‍ि हमें डर था क‍ि प्रोपेलर से निकलने वाली शॉकवेव रनवे से लगभग एक मील दूर स्थित नियंत्रण टॉवर की खिड़कियों को न तोड़ दे. जब यह उड़ान भरता था तो ट्रैफिक नियंत्रक अपने रेडियो के साथ नीचे आ जाते थे. खुद को कंबल से ढक लेते थे. क्‍योंक‍ि उन्‍हें डर लगा रहता था क‍ि कहीं ये चोट न पहुंचा दे. बेयर्ड ने कहा, वास्तव में इसे क‍िसी भी डेसीबल पर कभी र‍िकॉर्ड नहीं किया, लेकिन डर था क‍ि कहीं मापने वाला उपकरण ही न टूट जाए. बाद में इस विमान को नष्‍ट कर दिया गया, क्‍योंक‍ि यह क‍िसी काम के लायक नहीं समझा गया.

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Source – News18