अंतरिक्ष यात्री क्या सच में शैवाल खाकर मिटाते भूख? धरती से कैसे जाता खाना
गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) के तहत भारत अपने अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजने जा रहे हैं. वे कितने समय तक स्पेस में रहेंगे ये तो नहीं पता, लेकिन कई सवाल जरूर सामने आ गए हैं. जैसे एस्ट्रोनॉट जब अंतरिक्ष में जाते हैं तो क्या खाते हैं? क्या सच में शैवाल खाकर जिंदा रहते हैं? अगर हां तो कौन सा शैवाल खाते हैं, उसकी विशेषता क्या है? सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम वीडियोज मौजूद हैं, जिनमें एस्ट्रोनॉट ने खुद को खाना खाते हुए या कॉफी-चाय पीते हुए दिखाया है. हमें लगता होगा कि वहां एक किचन होगा और एस्ट्रोनॉट खुद बनाकर खाते होंगे. अगर ऐसा होता तो खाने का सामान खत्म होने के बाद अंतरिक्ष यात्री क्या करते होंगे? अजबगजब नॉलेज सीरीज के तहत जानिए इसके बारे में रोचक जानकारी.
सबसे पहले जानिए कि जब भी कोई इंसान अंतरिक्ष में भेजा जाता है तो उसके साथ हर दिन 1.7 किलोग्राम के हिसाब से खाना भेजा जाता है. लेकिन इसमें 450 ग्राम तो सिर्फ कंटेनर होता है, जिसमें खाना पैक कर भेजा जाता है. स्पेस में ग्रैविटी नहीं होती, इसलिए खाना खास तरीके से पकाया जाता है ताकि खराब न होने पाए. अंतरिक्ष यात्री को इसे 48 घंटे के अंदर खत्म करना होता है. जब भेजते हैं, उसी वक्त इसे गर्म करके एल्यमिनियम या बाईमेटेलिक में पैक करते हैं. इससे वहां तक खाना गर्म रहता है. रेडिएशन रोकने की भी व्यवस्था इसमें होती है.
These days, space food is prepared using a water dispenser machine that quickly rehydrates foods called a Rehydration Station. A galley oven then warms the food, so astronauts can enjoy a hot meal pic.twitter.com/3eswwFHFRW
— Sathish Kumar J (@Sathishfintech5) October 12, 2023
इन चीजों का भी रखा जाता ध्यान
कुछ और चीजों का ध्यान रखा जाता है, जैसे खाने में नमी बिल्कुल न हो. या हो तो बहुत कम. इसीलिए ज्यादातर ड्राईफ्रूड साथ में दिया जाता है. दालें जैसी चीज को भी पानी निकालकर पैक करके भेजा जाता है. मूंगफली, चॉकलेट भी अंतरिक्षयात्री साथ लेकर जाते हैं. पीने वाली चीजें पाउडर फार्म में भेजी जाती हैं. वहां गर्म पानी मिलाकर पीते हैं. लेकिन सबसे अहम सवाल कि क्या शैवाल भी साथ लेकर जाते हैं?
क्लोरेला नाम का शैवाल खाते
जवाब होगा हां, अंतरिक्ष यात्री क्लोरेला नाम का शैवाल खाते हैं. इसीलिए इसे अंतरिक्ष शैवाल भी कहा जाता है. यह एक हरा शैवाल है. इसमें आयरन, विटामिन और अमीनो एसिड प्रचुर मात्रा में होता है. यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है. क्लोरेला को अंतरिक्ष यान के केबिन के हॉज में ही उगाया जाता है. इससे एस्ट्रोनॉट को प्रोटीनयुक्त भोजन, जल और ऑक्सीजन मिलता है. क्लोरेला कार्बन डाइऑक्साइड का उपभोग करता है और अंतरिक्ष यान में ऑक्सीजन का उत्पादन करता है. अंतरिक्ष यात्री स्पिरुलिना नाम के शैवाल को भी खाते हैं. यह एक नीला-हरा सूक्ष्म शैवाल है. यह सबसे अधिक पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों में से एक है.
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FIRST PUBLISHED : October 19, 2023, 19:34 IST
Source – News18